कुछ गलत, कुछ सही,
कई होंगी अनकही,
बहुत सी कही-सुनी,
अन्य बिन ध्वनि।
उपयोग करके आंखो की दृष्टि,
और कान के सुनने की शक्ति,
बिना सच्चाई जाने,
मनुष्य इन सबको माने।
अवस्था पर ध्यान दो,
कहीं आपसे कुछ गलत ना हो,
समझकर समझाओ,
हवा में बातें मत फैलाओ।
कहने की शैली,
हर किसी की होती है निराली,
हर कोई सुनेगा आपकी जो भी बातें हो,
केवल वे विचारपूर्ण हो।
प्रत्येक शब्द,
अवश्य है खास,
किन्तु सब नहीं कहते,
भिन्न भांति की बातें।
केहने को तो बहुत कुछ है। अहमियत इसी में है कि वास्तविकता और तथ्यों के दायरे में रहकर ज्ञान बांटो क्योंकि आज-कल अवांछित बातों का वेग बढ़ चुका है।
बहुत खूब कहा है। पर हर इनसान अपने आप को सब से होशियार मान बैठा है। आइना दिखाने की ज़रूरत है ।
ReplyDeleteशुक्रिया। आपके आइने की बात भी दोष-रहित है।😄
DeleteVery well written
ReplyDeleteThank you!!
Delete🤗🤗
ReplyDelete:)
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