ज़िंदगी एक तलाश है,
ना जाने किसकी तलाश है।
जीते-जीते भटक जाते हैं
किसी गैर तलाश में,
भटकते-भटकते जीना सीखते हैं
अपनों की चाह में।
किसी नदी के किनारे,
या किसी पर्वत के शिखर पर,
कहीं तो रुकते हैं,
और अपने बीते कल को याद करते हैं।
बीते लम्हें स्मृति बन जाती हैं,
स्मृति हमारी ज़िंदगी का एक अहम हिस्सा,
हर क्षण ज़िंदगी में पिरोया जाता है,
और हमारी ज़िंदगी की किताब पूरी होती रहती है।
किसकी क्या वजह है, इस से अपरिचित हो कर,
खुद की खोज में हम जीना शुरू करते हैं,
हर प्रयास से हम करते है सारे कष्टों को दूर,
अंततः खुद से हमारी मुलाकात होती है।
जीवन के इस रोमांचक संघर्ष में,
मुस्कान चेहरे पर बनाए रखना चाहिए,
क्योंकि ज़ुबान में उतनी ताकत नहीं की वह
ज़िंदगी को किसी बोली में सीमित कर सके।
Sangarsh zindagi ka doosra naam hai.
ReplyDeleteWell -written!
Theek kaha aapne. Shukriya.😃
Delete"खुद से हमारी मुलाकात होती है ।" वाह! बहुत सही बात है ।
ReplyDeleteशुक्रिया। 😇
Delete